अकेले अकेले कहा जा रहे हो..
ऍन इव्हिनींग इन पॅरीस-(१९६७) -- महंमद रफी--हसरत जयपुरी-- शंकर जयकिशन
टवाळशेठ, अनुवाद उत्तम..
केशवसुमार