राज्याभिषेक गीत
[राग : मांड(मिश्र); ताल : एक्का]

भो पंचम जॉर्ज, भूप, धन्य धन्य ! विबुधमान्य सार्वभौम भूवरा ! ॥
    नयधुरंधरा, बहुत काळ तूंचि पाळ ही वसुंधरा ॥
    शोभविशी रविकुलशी कुलपरंपरा ॥ध्रु.॥ नयधु.॥

    संतत तव कांत शांत राजतेज जगिं विलसो ॥
    धर्मनीति शिल्पशास्त्र ललितकला सफल असो ॥
    सगुणसागरा, विनयसुंदरा ॥१॥ नयधु.॥

    नीतिनिपुण मंत्री तुझे तोषवोत जनहृदंतरा ॥
                                सदा जनहृदंतरा ॥
    राजशासनीं प्रजाहि विनत असो शांततापरा ॥
                      असो शांततापरा ॥२॥नयधु.॥

    समरधीर वीर करुत कीर्तिविस्तरा ॥
    पुत्र पौत्र सुखवुत तव राजमंदिरा ॥
    सौख्यपूर्ण दीर्घ आयु भोग नृपवरा ॥३॥नयधु.॥

भो पंचम जॉर्ज, भूप, धन्य धन्य ! विबुधमान्य सार्वभौम भूवरा ! ॥
                                                                 नयधु.॥