मूळ गाणे :

है कली कली के लब पर तेरे हुस्न का फसाना
मेरे गुलसितां का सब कुछ तेरा सिर्फ मुस्कुराना

ये खुले खुले से गेसूं उठे जैसे बदलियांसी
ये झुकी झुकी निगाहें गिरें जैसे बिजलियांसी
तेरे नाचते कदममें है बहार का खजाना
है कली कली के लब पर तेरे हुस्न का फसाना

तेरा झूमना, मचलना ये नज़र बदल बदल के
मेरा दिल धडक हा है, तू लचक सम्भल  सम्भल के
कहीं रुक ना जाये जालिम इस मोड पर जमाना
है कली कली के लब पर तेरे हुस्न का फसाना

चित्रपट : लाला रुख ( १९५८), गीतकार कैफी आज्मी
हे गाणे यू ट्यूबवर इथे बघता येईल.

मूळ गाण्याच्ये वृत्त "गागालगालगागा गागालगालगागा" आहे की 'गा ल गा ल गा ल गा गा । गा ल गा ल गा ल गा गा' आहे ? त्यातील हिंदुस्तानी उच्चारानुसार ऐकले तर 'गा ल गा । ल गा । ल गा गा ।। गा ल गा । ल गा । ल गा गा' च्या अधिक जवळ वाटते. उदा. :

है   क  ली   क ली   के लब पर     ते   रे* हु   स्न का  फ सा ना
गा  ल  गा   ल गा   ल  गा गा      गा  ल  गा   ल गा  ल गा  गा

मे  रे* गुल  सि तां  का* सब कुछ     ते  रा* सि   र्फ मु  स्कु रा ना
गा ल  गा    ल  गा  ल   गा  गा      गा  ल   गा   ल गा  ल गा  गा



ये   खु  ले   खु  ले   से* गे  सूं       उ   ठे* जै   से* बद  लि यां  सी
गा  ल  गा   ल गा   ल  गा गा      गा  ल   गा  ल   गा   ल  गा  गा


ये  झु  की  झु की  नि  गा हें      गि  रें* जै   से*  बिज लि यां  सी
गा ल  गा  ल  गा  ल  गा गा      गा  ल  गा  ल    गा   ल  गा  गा


ते  रे* ना  च   ते   क  दम  में       है  ब  हा   र  का  ख  जा ना
गा ल  गा  ल  गा   ल  गा  गा      गा  ल  गा  ल   गा  ल  गा  गा


है कली कली के लब पर तेरे हुस्न का फसाना


ते  रा* झू म ना, म  चल ना      ये   न  ज़र  ब  दल  ब  दल  के
गा ल   गा ल गा  ल  गा  गा      गा  ल  गा   ल  गा  ल  गा   गा


मे  रा* दिल  ध  डक  र  हा  है,      तू  ल चक  स म्भल  स म्भल के
गा  ल   गा   ल   गा  ल  गा  गा      गा ल गा   ल गा     ल गा  गा


क  हीं  रुक न  जा  ये  जा  लिम     इ   स  मो   ड   पर  ज मा ना
गा  ल  गा  ल  गा  ल   गा  गा      गा  ल  गा   ल   गा   ल गा  गा


है कली कली के लब पर तेरे हुस्न का फसाना

* :- ही अक्षरे इथे दीर्घ लिहिलेली असली तरी गाण्यात त्यांचे उच्चार ऱ्हस्व जाणवतात. उर्दू वृत्तांचे तज्ज्ञ याविषयी खुलासा करू शकतील असे वाटते.