मी | ओ | न | बे | शे |
भू | खो | पै | री | हो |
छे | ग | फे | वा | ई |
ढ | फू | बा | व | ऊ |
पू | थू | बी | शी | छू |
एकंदर मजेशीर कोडे. अनेक दिवस होऊनही हे रौप्यमहोत्सवी शब्दकोडे सुटत नव्हते तेव्हा सारखे २३, ३१, ४२ हे शब्द उभे-आडवे मनात येत होते. सारखा ब,बा,बि,बी,बु,बू करत होतो. अखेर एका दैवी शक्तीने महत्त्वाचा हस्तक्षेप केला आणि सुटकेचा 'उच्छ्वास' एकदाचा सुटला. फूऽऽऽ कुठला!