मनसोक्त त्रास दे, मनसोक्त वार कर ।
सारे क्षम्य आहे, पण थोडेसे प्रेम कर ॥
तूच अंतरी, अंतर दुविधेत ।
वाढवी न तू ती दुविधा ॥
जी भरके तडपा ले
जी भरके वार कर
सबकुछ गंवारा है
थोडासा प्यार कर
तू है दिल में दिल मुष्किल मे
अब न दिल की मुष्किलें बढा
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ग प्रेम हे, खेळणे मुळी नसे
जे, कुणीही खरीदू शके ।
माझ्याप्रमाणे, आयुष्य जळता,
ये ध्यानी सारे कसे ॥
ये प्यार कोई खिलोना नहीं है
हर कोई ले जो खरीद
मेरी तरह जिंदगीभर तडप लो
फिर आना इसके करीब
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