एक भूल हो गयी है आप से, आजानु कर्ण.
विलासजी का नाम 'विलास प्रसाद' ऐसा लिखा जाय, घाटीयोंकी तरह 'विलासप्रसाद' नही!! आयंदा फिर ऐसी हरकत न किया करें।
चलो, छटपूजे की तैय्यारी करें !! (उसमे शरद राव पव्वार भी तो शामिल होगे, ना?)