अजून एक "घावलं",
*गरजत बरसत भीगत आईलो..
तुमरे मिलन को अपने प्रेम पिहरवा
लो गरवा लगाये..... (चित्रपटः मल्हार)
**गरजत बरसत सावन आयो रे..
लायो न संग मे हमरे बिछडे बलमवा..
सखी का करू हाऽये...(चित्रपटः बरसात की रात)