ये वादियाँ ये फिजाएं बुला रही हैं तुम्हे - २
खामोशियों की सदाएं बुला रही हैं तुम्हे
ये वादियाँ ये फिजाएँ बुला रही हैं तुम्हे

तुमहारी जुल्फों से खुशबू की भीख लेने को
झुकी झुकी सी घटाएं बुला रही हैं तुम्हे
खामोशियों की सदाएँ...

हसीं चंपाई पैरों को जबसे देखा है
नदी की मस्त अदाएं बुला रही हैं तुम्हे
खामोशियों की सदाएँ...

मेरा कहा ना सुनो दिल की बात तो सुनलो
हर एक दिल की दुआएँ बुला रही हैं तुम्हे
खामोशियों की सदाएं बुला रही हैं तुम्हे

ये वादियाँ ये फिजाएँ बुला रही हैं तुम्हे...
चित्रपटः आज और कल

स्वरः मोहम्मद रफी