एक खुणेची जागा,
गाभुळलेल्या आठवणी विणणारा,
एक नाजुक धागा.
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खऱ्याखुऱ्या मैत्रीला,
कधीच वयाचे बंधन नसते.
जातीपातीच्या सीमा ओलांडून,
दोन मनांचे गुंजन असते.
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सोबतीला कुणी नसेल तर,
मुके मित्रही बोलके होतात.
स्पर्शातून आणि नजरेतून,
व्यथांचे भार हलके होतात.