एक गझल आठवलीः
"अब के हम बिछडे तो शायद कभी ख्वाबो मे मिले, के जिस तरह सूखे हुए फूल किताबो मे मिले"
"ढूंढ उजडे हुए लोगो मे वफा के मोती, ये खजाने तुझे मुमकीन है खराबो मे मिले" (खराब = आवारा, लोफर)