कई बार यूं ही देखा है ये जो मन की सीमा रेखा है मन तोडने लगता है अंजानी प्यास के पीछे अंजानी आस के पीछे मन दौडने लगता है
मुकेश=योगेश=सलिल चौधरी=रजनीगंधा
...............कृष्णकुमार द. जोशी