खयालों में किसी के, इस तरह आया नहीं करते
किसी को बेवफा आ आ के तडपाया नहीं करते
दिलों को रौंद कर दिल अपना बहलाया नहीं करते
जो ठुकराए गए हों उनको ठुकराया नहीं करते
हँसी फूलों की दो दिन चाँदनी भी चार दिन की है
चाँदनी चार दिन की है
मिली हो चाँद सी सूरत तो इतराया नहीं करते
किसी को...
जिन्हें मिटना हो वो मिटने से डर जाया नहीं करते
वो डर जाया नहीं करते
मुहब्बत करने वाले गम से घबराया नहीं करते
किसी को...
मुहब्बत का सबक सीखो, ये जाकर जलनेवालों से
ये जाकर जलनेवालों से
के दिल की बात भी लब तक कभी लाया नहीं करते
जो ठुकराये...
"बावरे नैन" / गीतादत्त - मुकेश / रोशन / केदार शर्मा
प्रशासक यांस - उत्तर थोड्यावेळापूर्वी दिले होते पण "प्रशासक संमती सूचना" न दिसल्याने परत दिले आहे.
दोन्ही आले असल्यास एक काढावे.