तुम गगन के चंद्रमा हो, मैं धरा की धूल हूँ
तुम प्रणय के देवता हो, मैं समर्पित फूल हूँ
तुम हो पूजा मैं पुजारी, तुम सुधा मैं प्यास हूँ

सती सावित्री. लता मन्ना डे भरत व्यास एल पी