ऐ नरगिस-ए-मस्ताना, बस इतनी शिकायत है
समझा हमें बेगाना, बस इतनी शिकायत है

हर राह पर टकराये, हर मोड पर घबराये
मूंह फेर लिया तुम ने हम जब भी नजर आये
हो हम को नहीं पहचाना, बस इतनी शिकायत है

हो जाते हो बरहम भी, बन जाते हो हमदम भी
ऐ साकी-ए-मयखाना, शोला भी हो शबनम भी
हो खाली मेरा पैमाना, बस इतनी शिकायत है

हर रंग कयामत है, हर ढंग शरारत है
दिल तोड के चल देना ये हुस्न की आदत है
हाये आता नहीं बहलाना, बस इतनी शिकायत है