वाहवा कविराज - हा अनुवाद नसून तुम्हीच केलेले काव्य वाटते.
शोला जो भड़के दिल मेरा धड़के
दर्द जवानी का सताए बढ़-बढ़ के
महकी हवाएं बहके कदम मेरे
ऐसे में थाम लो आ के बलम मोरे
पत्ता भी खड़के तो बिजली सी कड़के, दर्द ...
प्यार को मेरे किसने पुकारा
दिल में उतर गया किसका इशारा
याद ये किसकी लाई पकड़ के, दर्द ...
देखा जो तुमको दर्द हुआ कम
अब तो न होंगे तुमसे जुदा हम
अलबेला. लता, सी. रामचंद्र.
संपूर्ण गाणे मात्र स्मृती. कॉम वरून.