कारणे सर्व वर-वरची तुझी ती
मात्र नाकारणे ठाशीव होते!
वा!

दिनभर तो मैं दुनिया के धंदों में खोया रहा
जब दीवारोंसे धूप ढली तुम याद आए'
हा नासिर काज़मी. त्या गझलेतलाच एक शेर फार आवडतो-
पहले तो मैं चीख के रोया और फिर हसने लगा
बादल गरजा, बिजुरी चमकी तुम याद आए