तिच्या आठवांचे कफन पांघरूनी
किती प्रेमवेडे सती जात होते

गुन्हेगार नाही, सखे, एकटा मी
नयन तव शराबी प्रमादात होते

------------------वा!
मिलींद जी!
मक्ता वाचल्यावर मला चित्रपट गीतातील ओळी आठवल्या.
 १) 'कसूर तेरी नजरोका था 
     इसलिये मै दिवाना हुआ     (गायक: किशोर कुमार, चित्रपट:??)
       
२) शोख नजरे न शरारतसे बाज आयेंगी
    कभी रुठेंगी,कभी मिलके पलट जायेंगी
    तुझसे निभ जायेगी मै इनसे निभाऊं कैसे  
                                (गायक: रफी, गीतकार: राजा मेहदी अली खान, चित्रपट: आप की परछाईयाँ)
  
जयन्ता५२