गद्य साहित्य |
"अर्थशून्य शेरांचे अर्थ": गालिब व त्याचे भाष्यकार (अनुवादित) |
मिलिंद फणसे |
९ वर्षे २ महिन्यांपूर्वी |
गद्य साहित्य |
“माझी गझल निराळी” गझलसंग्रहाचे प्रकाशन |
गंगाधर मुटे |
११ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
गद्य साहित्य |
११. सभी गुनाह धुल गए सज़ा ही और हो गई |
मानस६ |
१३ वर्षे ३ महिन्यांपूर्वी |
गद्य साहित्य |
१०. वह शख़्स कि मैं जिससे मुहब्बत नही करता |
मानस६ |
१३ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
गद्य साहित्य |
जगजीतसिंगांना निरोप! |
सुधीर जकार्ताकर |
१३ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
गद्य साहित्य |
९. टूटी है मेरी नींद मगर तुमको इससे क्या |
मानस६ |
१४ वर्षे १ महिन्यापूर्वी |
गद्य साहित्य |
८. कभी नेकी भी उसके जी में गर आ जाये है मुझ से |
मानस६ |
१४ वर्षे ३ महिन्यांपूर्वी |
गद्य साहित्य |
७. वो लब कि जैसे सागर-ए-सहबा दिखाई दे |
मानस६ |
१४ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
गद्य साहित्य |
६. तफरीह का सामान किया जाये |
मानस६ |
१४ वर्षे ८ महिन्यांपूर्वी |
गद्य साहित्य |
५. दोस्ती से दुश्मनी शरमाई रहती है |
मानस६ |
१४ वर्षे ९ महिन्यांपूर्वी |
गद्य साहित्य |
ते लोक होते वेगळे, घाईत जे गेले पुढे..! |
तात्या अभ्यंकर |
१४ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
गद्य साहित्य |
४. खिलौने नहीं चलते |
मानस६ |
१४ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
गद्य साहित्य |
३. तुम्हारे खत में |
मानस६ |
१४ वर्षे ११ महिन्यांपूर्वी |
गद्य साहित्य |
२. पा-ब-गिल सब है |
मानस६ |
१४ वर्षे ११ महिन्यांपूर्वी |
गद्य साहित्य |
१. दर्द मिन्नतकश-ए-दवा न हुआ |
मानस६ |
१५ वर्षे २ आठवड्यांपूर्वी |
गद्य साहित्य |
गालिब बेनकाब |
बेफ़िकीर |
१५ वर्षे १ महिन्यापूर्वी |
गद्य साहित्य |
एक सुंदर गजल - नासिर - दिल मे इक लहरसी उठी है अभी |
बेफ़िकीर |
१५ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
गद्य साहित्य |
असचं काहीतरी.. केव्हातरी सुचलेलं.... |
गौरव आचार्य |
१५ वर्षे ८ महिन्यांपूर्वी |
गद्य साहित्य |
'ऋतू गझलांचे' सी. डी. प्रकाशन सोहळा संपन्न |
मानस६ |
१५ वर्षे ९ महिन्यांपूर्वी |
चर्चेचा प्रस्ताव |
कविता / गझल कशी असावी / नसावी |
प्रशासक |
१५ वर्षे ११ महिन्यांपूर्वी |
चर्चेचा प्रस्ताव |
गझलेची बाराखडी ! |
फिनिक्स |
१५ वर्षे ११ महिन्यांपूर्वी |
गद्य साहित्य |
’अंगाई ते गझल-रुबाई- समग्र वा. न. सरदेसाई’ |
मानस६ |
१६ वर्षे १ दिवसापूर्वी |
चर्चेचा प्रस्ताव |
गझलेतील अलामत |
भूषण कटककर |
१६ वर्षे १ महिन्यापूर्वी |
चर्चेचा प्रस्ताव |
'चित्त' यांचे अभिनंदन |
सन्जोप राव |
१६ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
गद्य साहित्य |
सुरेशभट डॉट इन गझल विशेषांक: दिवाळी २००८ |
आजानुकर्ण |
१६ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |