चर्चेचा प्रस्ताव |
मराठी भाषेसंबंधी शासनाचे (युनिकोड) धोरण |
ओक |
८ महिने १ आठवड्यापूर्वी |
चर्चेचा प्रस्ताव |
हिंदू हॉटेल |
केदार पाटणकर |
१ वर्ष ९ महिन्यांपूर्वी |
चर्चेचा प्रस्ताव |
सहकारी गृहरचना संस्था मर्यादित |
मीमराठी |
१ वर्ष ११ महिन्यांपूर्वी |
चर्चेचा प्रस्ताव |
पोलीस पाटील |
केदार पाटणकर |
४ वर्षे २ महिन्यांपूर्वी |
चर्चेचा प्रस्ताव |
मशीन लर्निंग वापरून मराठी भाषेचा अभ्यास |
ओक |
५ वर्षे ३ महिन्यांपूर्वी |
चर्चेचा प्रस्ताव |
सामर्थ्य तेव्हाचे व आताचे |
केदार पाटणकर |
७ वर्षे ९ महिन्यांपूर्वी |
चर्चेचा प्रस्ताव |
संगणकावर मराठीतील समानार्थी / विरुद्धार्थी शब्द |
ओक |
८ वर्षे २ महिन्यांपूर्वी |
चर्चेचा प्रस्ताव |
मराठीतील षष्ठी विभक्ती प्रत्यय |
ओक |
८ वर्षे २ महिन्यांपूर्वी |
चर्चेचा प्रस्ताव |
हिंदू कॉलनी |
केदार पाटणकर |
८ वर्षे ३ महिन्यांपूर्वी |
चर्चेचा प्रस्ताव |
नाण्याची दुसरी बाजू अर्थात |
चेतन सुभाष गुगळे |
८ वर्षे ९ महिन्यांपूर्वी |
चर्चेचा प्रस्ताव |
सोप्या पद्धतीने मराठीत लेखन |
ओक |
८ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
गद्य साहित्य |
अपवादात्मक अपवाद |
चेतन सुभाष गुगळे |
९ वर्षे ३ आठवड्यांपूर्वी |
चर्चेचा प्रस्ताव |
मराठी - मराठी शब्दकोश (आणि इतर मराठी कोश ) |
इसाप १ |
९ वर्षे ३ महिन्यांपूर्वी |
चर्चेचा प्रस्ताव |
गमभनचा कीबोर्ड लेआऊट |
ओक |
९ वर्षे ३ महिन्यांपूर्वी |
चर्चेचा प्रस्ताव |
ष चा वापर |
केदार पाटणकर |
९ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
चर्चेचा प्रस्ताव |
जागतिकीकरण भारताला अपरिहार्य होते का? |
केदार पाटणकर |
१० वर्षे २ आठवड्यांपूर्वी |
चर्चेचा प्रस्ताव |
कोणती रचना स्वीकारार्ह ? |
केदार पाटणकर |
१० वर्षे १ महिन्यापूर्वी |
गद्य साहित्य |
वृत्तपत्रविद्या परिभाषा कोश |
प्रशासक |
१० वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
गद्य साहित्य |
छन्दोरचना |
प्रशासक |
१० वर्षे ७ महिन्यांपूर्वी |
गद्य साहित्य |
शास्त्रीय मराठी व्याकरण |
प्रशासक |
१० वर्षे ७ महिन्यांपूर्वी |
चर्चेचा प्रस्ताव |
आधुनिक कार्यालयात वैयक्तिक प्रोत्साहनाचे प्रमाण |
केदार पाटणकर |
१० वर्षे ८ महिन्यांपूर्वी |
चर्चेचा प्रस्ताव |
कली |
केदार पाटणकर |
१० वर्षे ९ महिन्यांपूर्वी |
गद्य साहित्य |
समग्र 'अदिती' |
प्रशासक |
१० वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
चर्चेचा प्रस्ताव |
मराठी शब्द हवे आहेत - १४ |
विकिकर |
११ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
चर्चेचा प्रस्ताव |
पुस्तकाचा लेखक स्वतः लेखनविषयात व्यावहारिक पातळीवर पारंगत असणे गरजेचे आहे का? |
केदार पाटणकर |
११ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |