मी एकटा

वळणावरून वळतांना मागे वळुनही तु पाहत नाहिस,

मागे उभ्या माझ्या मनातली खळबळही का तु ओळखत नाहिस?

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रंगा माझा वेगळा, म्हणुनाच तुला कधी न कळाला.

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कठोर तुझ्या शब्दांनी हृ्दय माझे चर्फडात होत,

आठ्वला तो अपराध एकच, की माझे तुझयावर खरं प्रेम होतं. 

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