का हे मन माझे .......!

    का हे मन माझे,
    तुझ्या साठी गहिवरले,
    वारा घालितो साद मन...
    का हे बावरले......!

    सागर देखिल पाही.... लाट,
    का हि बावरली,
    नाही त्याला कळले...
    वाळू का हि ओसरली...!

    चातक देखिल पाही,
    वाट एका थेंबाची,
    नाही आस त्याला...
    आता पुन्हा जगण्याची...!

    का हे मन माझे,
    तुझ्या साठी गहिवरले...?