झुळूक

झुळुक एकटी

------------खट्याळ ती तर

उडवुन जाई

आभाळाची कुरळीशी बट---

जरा पुढे घोंघावत जाई

पिंजारुन त्या धुमळ धुळीला

उसळत खिदळत--------

अव्यक्त तिचा भणंग भवरा

घुसतो केव्हा--कुठे-- कसाही--

सारे तुडवत---------

अंतरातही काहुर उठवी

झुळुक चावरी?--------

छे! ती गं----

-------------तुझी नजर बावरी!