झुकती नजर

घातक तिची झुकती नजर
बदमाष तो उडता पदर

रागावल्या साऱ्या कळ्या
मागे तिच्या सारे भ्रमर

ती माळते तो मोगरा
वाऱ्यासवे देतो खबर

जाणार असते ती तिथे
आधीच मी होतो हजर

का दूर इतके घर तिचे?
बदलेन म्हणतो मीच घर

ती थांबते अन हासते
मग दिवसभर मी वेडसर

ती भेटली ना भेटली
मी गझल लिहतो रात्रभर
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(जयन्ता५२)