व्यवहारी जगात| परतोनी येता|
सामोरे ठाकले| कुरुक्षेत्र||
वृत्तीने दांभिक| स्वार्थपरायण|
शल्याचे अवतार| आप्त सारे||
वैफल्याने ग्रस्त| मत्सरी जीवाना|
मिळाले सावज| अनायास||
आप्त स्वकीयांनी| रोज हिणवावे|
करावा पदोपदी| अपमान||
टोचुनी मारावे| घायाळ पाखरू|
चाले क्रूर खेळ| गिधाडांचा||
सद्गुरू कृपेचा| मिळता आधार|
धीरोदात्त माता| सावरली||
ईश्वरी कृपेने| लाभे सहोदर|
जैसा ज्ञानदेवा| निवृत्तीच||
मिळता दोघांचा| समर्थ आधार|
हळूहळू शिष्य| सावरला||
निर्धाराने मग| स्वीकारे नोकरी|
अत्यल्प वेतन| मिळे जरी||
सहाध्यायी सारे| व्यवहारी यशस्वी|
जीवनात सारे| सुस्थापित||
कधी वाटे खेळ| प्रारब्धाचा सारा|
कधी वाढे जोर| वैफल्याचा||
सद्गुरू स्मरण| करोनिया मग|
पुन्हा व्हावे त्याने| कार्यमग्न||
सद्गुरू कृपेने| शिष्योत्तमाचे|
हळूहळू पालटे| 'मनोगत'||
मनोदौर्बल्याला| देऊ नये थारा|
सद्गुरूंचा उपदेश| आठवावा||
स्वये ठरवावे| अल्पसे उद्दिष्ट|
साध्य ते करावे| प्रयत्नांती||
यत्ने मिळवावे| तांत्रिक नैपुण्य|
जरी ते वाटले| कष्टसाध्य||
स्वकर्मी करावा| विनियोग त्याचा|
तेथे कामी येई| योजकता||
संघभावनेचा| आदर्श पाळावा|
देऊ नये थारा| मत्सराला||
सारासार विचार| करोनी आपले|
मांडावे विचार| ठामपणे||
सुधारण्या चूक| असावे तत्पर|
ठेवावी भूमिका| लवचिक||
निजनिष्ठा ठेउनी| प्रयत्ने साधावा|
आपला आपण| अभ्युदय||
नित्य चाले खेळ| उन सावलीचा|
तैसे यश आणि| अपयश||
समत्व बुद्धीने| साहावे दोन्हीही|
ठेउनिया वृत्ती| स्थितप्रज्ञ||
कर्मभोग सारे| ईश्वरा अर्पुनी|
सहज ते प्राप्त| नि:श्रेयस||
[एक अध:पतित, दुर्दैवी, नैराश्यग्रस्त आणि आत्मघाताकडे निघालेल्या युवकाला पूर्वसुकृतानुसार योग आल्यावर सद्गुरू भेटतात. दत्तकृपायोगाने त्याच्या वृत्तीमध्ये आणि आयुष्यात स्थित्यंतरे येतात. एक कहाणी अभंग स्वरूपात मांडण्याचा प्रयत्न (क्रमश:) ]