अनुग्रह (अभंग)

दुवा क्र. १ वरून

(अभंग छंदातली ही पहिली रचना श्री सद्गुरूचरणी समर्पित)

ओमकार स्वरूप| मूलाधार स्थित|
चतुर्भुज रूप| गणेशाचे||

त्याचिया कृपेने| सहज घडतो|
आत्मस्वरूपाचा| साक्षात्कार||

सद्गुरू कृपेचा| सतत वर्षाव|
अवघा कल्लोळ| आनंदाचा||

भिकार भोगांचे| सरले डोहाळे|
रुग्ण वैराग्याचा| होई अंत||

पुण्याची मोजणी| पापाची टोचणी|
गुरुकृपा योगे| शांतावली||

कर्माचे बंधन| बाधेना जीवाला|
सर्वभावे होता| समर्पण|

निजानंदी रंगलो| स्वरूपी दंगलो|
सहजची झालो| आत्मलिन||

जीविताचे ध्येय| सद्गुरू प्रणीत|
उमजावे आता| म्हणोनिया|

अजाण बालक| राहुल नामक|
येउनी शरण| विनवितो||

आदेश तुमचा| दृष्टांत रूपाने|
करावा कथन| गुरुनाथा||

||हरी ओम तत सत||