मी पुन्यांदा हॉट झालो कव्हर ड्राइव्ह शॉट झालो
मीच दादा, वाघ मी अन्, चॅपलांचा शिष्य झालो
ब्रेट ली चा बॉल येता दांडिया मी भांगडा मी
रूप माझे कोणते सांगा खरेसे रंगवू मी?
ओपनर मी घातकी मी ताप डोक्याचा नवा मी
बेलगामी वागण्याचे हस्तिदंती रूप ते मी
बॉलला बाहेरच्या या छेडताना क्रीज़पाशी
पाय ते माझेच मागे झोपले सांगा कुठेशी?
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१. आमची प्रेरणा : अदितीताईंची रूपकात्मक कविता चेहरा
२. कवितेच्या पहिल्या चार ओळी सौरव गांगुलीचे आणि नंतरच्या चार ओळी वीरेंद्र सेहवागचे मनोगत आहे, हे न समज़ल्यास कृपया कविता पुन्हा वाचावी.
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