मी माझी...(चारोळ्या)

तुझा निरोप घेताना

समुद्र डोळ्यांत साठला होता...

तू वळूनही नाही पाहिलेस

पापण्यांचा बांध जेव्हा फुटला होता...

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तुझ्या नि माझ्यातले अंतर

एका अबोल्याएवढेच उरले आहे...

दोन किनाऱ्यांची भेट आता नाही

शब्दावाचून दोघांनी हे हेरले आहे...

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तुझ्याशिवाय जगण्याचा विचारही व्यर्थ होता

तरी मला जगण्याची हौस होती...

तू दिलेल्या जखमांना

तुझ्याच आठवणींची फुंकर होती...

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