श्री गणराया

श्री गणराया
कृपावंत व्हावे श्री गणराया
भूलचूक माझी हृदयी धराया ॥धृ॥
चिंतामणी तू चिन्मय देवा 
अनुतापी मी, तू करुणा ठेवा
व्दारी उभा मी नाम स्मराया ॥१॥
भवमोचक तव मंगलदृष्टी
अनुदिन लाभो तारक वृष्टी
हा भवबंध पार कराया ॥२॥
अनुष्ठान हे तव पुजनाशी
क्षणभंगुर मी, तू अविनाशी
साह्य होई मज अभय तराया ॥३॥
                                         गंगाधर मुटे
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