कविता |
का मी आज़ पुन्हा उगीच बसलो मांडून ही खेळणी? (शार्दूलविक्रीडित ग़ज़ल) |
प्रणव सदाशिव काळे |
१८ वर्षे ८ तासांपूर्वी |
कविता |
असे प्रेम देवा |
साकार |
१८ वर्षे २ दिवसांपूर्वी |
कविता |
उमटवुन गेले निशान काळ्जात |
सतिश गावडे |
१८ वर्षे ४ दिवसांपूर्वी |
कविता |
गझल |
मिलिंद फणसे |
१८ वर्षे ६ दिवसांपूर्वी |
कविता |
रात्री जे घडले त्याची दिवसाला वार्ता नसते |
प्रणव सदाशिव काळे |
१८ वर्षे १ आठवड्यापूर्वी |
कविता |
मुलाहिजा |
चित्त |
१८ वर्षे १ आठवड्यापूर्वी |
कविता |
झेंडा |
visunaanaa |
१८ वर्षे १ आठवड्यापूर्वी |
कविता |
चूक |
जयन्ता५२ |
१८ वर्षे १ आठवड्यापूर्वी |
कविता |
जागर |
कोहम् |
१८ वर्षे १ आठवड्यापूर्वी |
कविता |
पाचोळा |
पुलस्ति |
१८ वर्षे २ आठवड्यांपूर्वी |
कविता |
पुन्हा रुबाई |
हेमंत राजाराम |
१८ वर्षे ३ आठवड्यांपूर्वी |
कविता |
करारनामे |
नीलहंस |
१८ वर्षे ३ आठवड्यांपूर्वी |
कविता |
जेवणाचे नियम सारे मोडले मी |
माफीचा साक्षीदार |
१८ वर्षे ३ आठवड्यांपूर्वी |
कविता |
नियम |
कुमार जावडेकर |
१८ वर्षे ३ आठवड्यांपूर्वी |
कविता |
विराणी |
मिलिंद फणसे |
१८ वर्षे ३ आठवड्यांपूर्वी |
कविता |
कंठात प्राण आले |
माफीचा साक्षीदार |
१८ वर्षे ३ आठवड्यांपूर्वी |
कविता |
दुकाने |
मिलिंद फणसे |
१८ वर्षे ४ आठवड्यांपूर्वी |
कविता |
शब्दांत प्राण आले |
नीलहंस |
१८ वर्षे ४ आठवड्यांपूर्वी |
कविता |
राज |
राज शिरसाट०१ |
१८ वर्षे १ महिन्यापूर्वी |
कविता |
इतकी सुंदर का दिसते ही? |
माफीचा साक्षीदार |
१८ वर्षे १ महिन्यापूर्वी |
कविता |
गझल:'भेटणे नाही अता' |
जयन्ता५२ |
१८ वर्षे १ महिन्यापूर्वी |
कविता |
इतकी सुंदर का दिसते ती? |
अजब |
१८ वर्षे १ महिन्यापूर्वी |
कविता |
जखम |
मयूर लंकेश्वर |
१८ वर्षे १ महिन्यापूर्वी |
कविता |
जोडले मी शब्द काही |
नीलहंस |
१८ वर्षे १ महिन्यापूर्वी |
कविता |
तुजवाचुन या संध्याकाळी... |
शिवश्री |
१८ वर्षे १ महिन्यापूर्वी |