कविता |
पाप |
चैतन्य दीक्षित |
१८ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
गझल |
विक्षिप्त |
१८ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
लिखाण |
कुमार जावडेकर |
१८ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
नायगारा |
पुलस्ति |
१८ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
ना कळलो मी जगाला, ना कळले जग मला |
सनिल पांगे |
१८ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
आसवे |
मिलिंद फणसे |
१८ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
कृपा |
फिनिक्स |
१८ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
संक्रांत |
मिलिंद फणसे |
१८ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
हा जीव असा जळलेला |
सारंग |
१८ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
आला वारा गेला वारा |
मनोगतीवाचक |
१८ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
सूर लावतो आहे वारा... (गजल) |
अजब |
१८ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
आपल्या दोघांमधे ही गॅप का? |
प्रसाद |
१८ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
अशी वाट चोखंदळावी स्वतःची |
चित्त |
१८ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
आव्हान |
कुमार जावडेकर |
१८ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
पाडतो कविता किती बकवास मी |
टीकाराम |
१८ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
मी कुठे दिसलोच तर |
वैभव जोशी |
१८ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
राहिलो न अता कुणाचा दास मी |
कारकून |
१८ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
वेदनांची मांडतो आरास मी |
प्रसाद |
१८ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
रक्त वाहे दंगलीचे... |
मानस६ |
१८ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
येवुनी स्वप्नात माझ्या |
स्नेहदर्शन |
१८ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
शीर्षक सुचलंच नाही! |
ग्रामिण मुम्बईकर |
१८ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
प्रिय मनास |
सनिल पांगे |
१८ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
तक्रार वेदनांची गझलेत मांडली मी... |
अनिरुद्ध१९६९ |
१८ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
गझल |
विक्षिप्त |
१८ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
अठवे मला |
स्नेहदर्शन |
१८ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |