शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
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हिम्मत | कविता | स्नेहदर्शन | १० | |
गज़ल | कविता | स्नेहदर्शन | ८ | |
डिपार्टमेंट ऍडवायज़र बडवायज़र अपार्टमेंट (२) | गद्य साहित्य | चक्रपाणि | २२ | |
प्रिया | कविता | जयश्री अंबासकर | १५ | |
मराठी, स्पॅनिश व कातालान | गद्य साहित्य | शरद कोर्डे | २१ | |
माणूस | कविता | अनिलकुमार | ||
स्मरण | कविता | सुरभी | ३ | |
अपार्टमेंट डिपार्टमेंट ऍडवायज़र बडवायज़र (१) | गद्य साहित्य | चक्रपाणि | १३ | |
मराठी गाण्यांची चलच्चित्रे (व्हिडिओज) | गद्य साहित्य | नंदन | ६ | |
टोमॅटो भात | पाककृती | रुतुकरन्दिकर | ५ | |
सोड आता! | कविता | सारंग | १७ | |
मी! | कविता | जयन्ता५२ | ३ | |
बोरॅट | गद्य साहित्य | कोलबेर | १३ | |
निखारे | कविता | अनिरुद्ध१९६९ | १ | |
बाळ ठाकरे ह्यांची मुलाखत.. | गद्य साहित्य | महेश शिऊरकर | ८ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
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माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |