शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
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बघ माझी आठवण.... | कविता | स्मिता१ | २ | |
संध्याकाळ | कविता | उत्पल | २ | |
दिगंतर | कविता | उत्पल | २ | |
केशवा रे! | कविता | केशवसुमार | २ | |
कृष्णमेघ | कविता | उत्पल | ४ | |
(कातर) | कविता | अदिती | १५ | |
रुद्र मल्हार | कविता | मृण्मयी | १५ | |
प्रीतिची रीत | कविता | टवाळ | १२ | |
बोलताना तोल गेला... | कविता | मानस६ | ३ | |
'उत्तर' | कविता | अजब | १२ | |
या सुखांनो... | चर्चेचा प्रस्ताव | खादाड बोका | ३० | |
एक सत्यघट्ना - भाग २ | गद्य साहित्य | पूजा७३ | ५ | |
एक ना एक दिवसतरी "माझी" करीन मी तुला........ | कविता | सचिन काकडे | २ | |
मी जिंकलो आणि ती हरली............... | कविता | सचिन काकडे | ||
मन्मना रे! | कविता | अदिती | १३ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
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माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |