माझी गाडी आणि मूर्तिपुजा! |
ऋतुगंध |
५ वर्षे २ महिन्यांपूर्वी |
स्थळ, काळ आणि अंतर |
हरिभक्त |
५ वर्षे ३ महिन्यांपूर्वी |
श्रद्धा आणि गंतव्य |
हरिभक्त |
५ वर्षे ३ महिन्यांपूर्वी |
आनंदाचे डोह |
ऋतुगंध |
५ वर्षे ३ महिन्यांपूर्वी |
अहोभाव |
हरिभक्त |
५ वर्षे ३ महिन्यांपूर्वी |
निष्काम कर्म |
हरिभक्त |
५ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
आत्मपूजा उपनिषद : १४ - १५ : संतोष हाच प्रसाद आणि आपणच ब्रह्म आहोत हा अनुभव म्हणजे मुक्ती ! |
संजय क्षीरसागर |
५ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
आत्मपूजा उपनिषद : १२ - १३ : मी सत्य आहे हा भावच नमस्कार आणि मौन हीच स्तुती ! |
संजय क्षीरसागर |
५ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
गोळ्याचा दगड |
केदार पाटणकर |
५ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
दैव देते आणि कर्म नेते ! |
कुशाग्र |
५ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
आत्मपूजा उपनिषद : ३ : निःसंशय जाणणं हेच आसन ! |
संजय क्षीरसागर |
५ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
वाढदिवस |
कुशाग्र |
५ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
जातिसंस्था एक वास्तव |
कुशाग्र |
५ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
रंजीश ही सही.. |
ऋतुगंध |
५ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
विपश्यना, ध्यानातून ज्ञानाकडे जाण्याचा मार्ग |
सोकाजीत्रिलोकेकर |
५ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
सुटलो! |
ऋतुगंध |
५ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
अमर दीप देव आनंद |
कुमार सतीश |
५ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
आत्मपूजा उपनिषद : १ : स्वस्मरण हेच ध्यान ! |
संजय क्षीरसागर |
५ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
रोमन हॉलिडे (१९५३) |
कुमार सतीश |
५ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
अहंकार आणि नम्रता |
कुमार सतीश |
५ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ |
कुमार सतीश |
५ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
ये दिल और उनकी निगाहोंके साये....................... |
मराठीप्रेमी |
५ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कॅन्सर |
सानुलं पिल्लू |
५ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
आणि आषाढी पावली... |
महामाया |
५ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |
संजय क्षीरसागर |
५ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |