शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
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माझा खटला - ओरहान पामुक | गद्य साहित्य | नंदन | ७ | |
विद्रोही साहित्य | चर्चेचा प्रस्ताव | विकि | ६७ | |
भान | कविता | मीनु | ||
जखम | कविता | मीनु | २ | |
सुरकुत्या | कविता | मीनु | ४ | |
मुखवटा | कविता | मीनु | ||
समई | कविता | मीनु | १ | |
प्रस्थान....... | गद्य साहित्य | अभिजित पापळकर | ४ | |
प्रेम-पत्र | गद्य साहित्य | टिल्लु | १८ | |
श्रीकांतच्या रोजनिशीतले पान | गद्य साहित्य | कोलबेर | ७ | |
कुठून कसे उमलले तुरे | कविता | संपदा१ | ४ | |
प्रायॉरी स्कूल (१) | गद्य साहित्य | अदिती | ७ | |
पहिले भारतीय शोधयंत्र 'ग़ुरुजी' | चर्चेचा प्रस्ताव | मोरू | २ | |
या हो दरियाचा दरारा मोठा.. | गद्य साहित्य | वरदा | १८ | |
मालिका | गद्य साहित्य | रोहिणी |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
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माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |