शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
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मुगाची भजी | पाककृती | गीत | ||
खारे दाणे | पाककृती | भाष | ४ | |
चिकन टिक्का मसाला | पाककृती | प्रभाकर पेठकर | १ | |
ब्रेड पीझ्झा | पाककृती | केदार परांजपे | १ | |
आठवणीतल्या कवितां ! | कविता | माधव कुळकर्णी | ११ | |
चाहूल | कविता | मिलिंद फणसे | १२ | |
ग्रिल्ड् चीझ सँडविच.. | पाककृती | प्रभाकर पेठकर | ४ | |
कांद्याचा पराठा ! | पाककृती | प्राजक्त | २ | |
व्हेज माखनी | पाककृती | प्रभाकर पेठकर | ३ | |
हमखास डोसा | पाककृती | गीत | ||
नेहमीच वाटत मला | कविता | तुषारजोशी | ६ | |
काकडीचा डोसा | पाककृती | सतिश_खेडकर | ४ | |
प्रतिशब्द हवे आहेत. | चर्चेचा प्रस्ताव | वरदा | ७७ | |
गणितीय श्रेणी | गद्य साहित्य | मीरा फाटक | २८ | |
बफेलो विंग्ज | पाककृती | भाष | २ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
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माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |