शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
---|---|---|---|---|
वेदना एकटेपणाची | कविता | ग्रामिण मुम्बईकर | ३ | |
तूर्तास | कविता | बैरागी | १७ | |
बसस्टॉपवरची मुलगी | कविता | लेले कौस्तुभ | ५ | |
महागाई | गद्य साहित्य | विजय देशमुख | ४ | |
भ्रष्टाचारी क्रमांक ९६ | गद्य साहित्य | विजय देशमुख | १ | |
काळजावर वेदनांची... | कविता | जयन्ता५२ | १० | |
बीटी चा बडगा | गद्य साहित्य | अरुंधती कुलकर्णी | ८ | |
स्पर्श | कविता | मृण्मयी | ६ | |
खरेच असे करशील का? | कविता | मी प्राजक्ता | ४ | |
प्रश्न .. | कविता | कनुप्रिया | १ | |
चिरंजीवी.... | गद्य साहित्य | कोऽहम | १ | |
"चित्तोडगड" | कविता | कबीर गिरीश | १ | |
ठसें | कविता | कबीर गिरीश | २ | |
सचिनला यात ओढू नका | चर्चेचा प्रस्ताव | मोगरा फ़ुलला | १३ | |
भाषा विषय | कविता | गंगाधरसुत | १ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
---|---|---|---|
माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |