शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
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मुक्कामाच्यानंतर | कविता | भूषण कटककर | ४ | |
टाहो | कविता | अरुण वडुलेकर | ७ | |
॥ शिवराज्याभिषेक ॥ | कविता | मनीषा२४ | ४ | |
काळरात्री पाखरे ती | कविता | साकार | २ | |
चुर्रर्रर्रर्र....... ( सिझलर ) | पाककृती | भानस | १० | |
अपूर्णता | कविता | श्वेतू | ||
आई...! | कविता | चैतन्य दीक्षित | ४ | |
असलेलं नसलेलं | गद्य साहित्य | सई मुंडले | २२ | |
बायको म्हणजे.... | कविता | जगदिशचव्हाण | ५ | |
गझलेची बाराखडी ! | चर्चेचा प्रस्ताव | फिनिक्स | १३ | |
खाल्ल्यानंतर | कविता | खोडसाळ | ६ | |
फॅमिली (२) | गद्य साहित्य | अरुण वडुलेकर | ११ | |
हा आहे रेशमी | कविता | नरेंद्र गोळे | ३ | |
ओली भेळ | पाककृती | रोहिणी | १२ | |
विरहानंतर | कविता | भूषण कटककर | ७ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
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माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |