शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
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गज़ल-२ | कविता | केशवसुमार | ३ | |
तुझ्यविना हा पाऊस | कविता | जयश्री अंबासकर | ६ | |
श्रीमद्भगवद्गीता एक अनोखे पठण | कार्यक्रम | ग़ुरुजी | ३ | |
शब्द | कविता | पुलस्ति | ४ | |
गज़ल | कविता | शिवश्री | ११ | |
नदी | गद्य साहित्य | श्रावण मोडक | ३ | |
शिवसेना: स्थानीय लोकाधिकार | चर्चेचा प्रस्ताव | छू | १५ | |
तुमचे मत ? | गद्य साहित्य | शेर्पा | १ | |
नर्मदाई | गद्य साहित्य | श्रावण मोडक | ५ | |
माध्यमिक मराठी! | चर्चेचा प्रस्ताव | माधवी गाडगीळ | १७ | |
खात आहे सर्वकाही... | कविता | केशवसुमार | ४ | |
(कुठे म्हणालो परी असावी) | कविता | केशवसुमार | १ | |
गोड खाणे | कविता | केशवसुमार | २ | |
वर्ल्डकपच्या गजाली | कविता | प्रमोद बेजकर | १३ | |
गोड गाणे | कविता | चिन्नु | २ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
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माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |