शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
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सहज सरल सापेक्षता - १ | गद्य साहित्य | तो | ५ | |
भाषा | कविता | साकार | ५ | |
(सवय झाली) | कविता | तो | ११ | |
मराठी गाण्यांच्या भेंड्या भाग ६ | चर्चेचा प्रस्ताव | भोमेकाका | २० | |
खमंग फूलकोबी | पाककृती | अनु | ४ | |
भेट | गद्य साहित्य | वेदश्री | १३ | |
उकडीचे मोदक | पाककृती | साक्षी | १८ | |
पायोनिअर असंगती | गद्य साहित्य | वरदा | २२ | |
हनुमान (सौजन्य - अनामिक लेखक आणि आंतरजाल) | कविता | हिटलर | २० | |
शुभ्र गालिचा | गद्य साहित्य | वेदश्री | १९ | |
हरिपाठ... श्री.ज्ञानदेवांचा! ( अभंग#१४) | गद्य साहित्य | नामी_विलास | २ | |
घाव | कविता | शतानंद१२ | १७ | |
मराठी शब्द हवे आहेत-६ | चर्चेचा प्रस्ताव | वरदा | ६८ | |
गझल- 'वार' | कविता | मानस६ | ११ | |
पोळी फ़्राय ! | पाककृती | देशपांडे मामा | ११ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
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माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |