शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
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वादात या कुणीही सहसा पडू नये' | कविता | कैलास गायकवाड | ३ | |
एकटे जगायचे.. | कविता | इशिता | २ | |
मराठी भावगीतांची वाटचाल | गद्य साहित्य | यशवंत जोशी | १० | |
प्रहार | कविता | संजय का. साळगांवकर | ||
' सुखाचा ठेवा -' | कविता | विदेश | ||
आले तव चरणाशी | कविता | निशिकान्त दे | १ | |
असे कुणीतरी यावे..... | कविता | हर्षद प्रभूदेसाई | ४ | |
कस्तुरी | कविता | संजय क्षीरसागर | २ | |
भारतभेट २०११ | गद्य साहित्य | रोहिणी | ६ | |
सहसा पडू नये | कविता | निशिकान्त दे | १ | |
वेगळासा वाटला | कविता | निशिकान्त दे | २ | |
चला थोडेसे प्रेम करून बघुया ....!! | कविता | प्रकाश१११ | १ | |
सांजखुणा | कविता | सचिन काकडे | ३ | |
अक्षता | कविता | अनुबंध | ६ | |
आधार | कविता | इशिता | ३ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
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माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |