शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
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मैफल ...! | कविता | वेडाकुठला | ५ | |
पैंजण | कविता | विशाल कुलकर्णी | २ | |
एका फुग्याची गोष्ट | कविता | शेखरमोघे | १ | |
कशाला पाहिजे स्वातंत्र्य जेथे 'प्यायचे नाही'? | कविता | बेफ़िकीर | १ | |
मारुती | गद्य साहित्य | भालेराव | २ | |
चाहूल | कविता | कमलाकर दिवाकर | २ | |
जाहिरात | गद्य साहित्य | व्हिके | ३ | |
घ्या हात धुवून! | गद्य साहित्य | आपला अभिजित | २ | |
पानिपत... | कविता | दर्शन पवार | ३ | |
१६. हादरे) | गद्य साहित्य | श्वास स्वातीचा | १ | |
(मदार) | कविता | खोडसाळ | ३ | |
मदार | कविता | पुलस्ति | ८ | |
चॉकलेट केक | पाककृती | केतकी गोडबोले | १ | |
नशीब त्यांचे - भाग २४ | गद्य साहित्य | व्हिके | ४ | |
आर्थिक तंगी आणि सोनेरी कमानी | गद्य साहित्य | शेखरमोघे | १ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
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माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |