शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
---|---|---|---|---|
द्यावे मजला मार्ग ऐसा | कविता | प्रसाद कोलते | १ | |
पुनर्जन्म खरा की खोटा, बघा तर्क पटतो का? | चर्चेचा प्रस्ताव | संतोष कागवटे | २२ | |
(खंत) | कविता | खोके | ६ | |
आदर आणि मान | चर्चेचा प्रस्ताव | अदिती | ११ | |
खंत | कविता | भूषण कटककर | १२ | |
वाढणं ! | कविता | फिनिक्स | ७ | |
६. मन | गद्य साहित्य | संजय क्षीरसागर | ३ | |
लग्न म्हणजे... | कार्यक्रम | आपला अभिजित | ||
तीन चारोळ्या | कविता | राही_साईराम | २ | |
एकाकी - एका बापाची कथा | कविता | भूषण कटककर | ८ | |
वाऱ्याचे अश्रू | कविता | प्रथम येथे | ३ | |
काय सांगू आणखी? | कविता | जयन्ता५२ | ७ | |
शय्येवरचं महाभारत | कविता | यशवंत जोशी | ३ | |
धाडू नको बाजारी ! | गद्य साहित्य | कुशाग्र | ६ | |
सर्जन | गद्य साहित्य | चौकस | ९ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
---|---|---|---|
माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |