शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
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छोट्या कविता | कविता | मनीषा साधू | ७ | |
इन्स्टिट्यूट ऑफ पावटॉलॉजी -२ | गद्य साहित्य | संतोष प्र. शिंत्रे | १ | |
शांतिसेना | कविता | भूषण कटककर | ३ | |
फुगवून घे. | कविता | फटाकडी | ३ | |
जपून चालले. | कविता | चांदणी लाड. | २ | |
आय. पी. एल. | गद्य साहित्य | हेमंत मुळे | २ | |
पुरूष ए वेदं | कविता | यशवंत जोशी | ३ | |
कधी कोणते गीत | कविता | मनीषा साधू | ३ | |
इन्स्टिट्यूट ऑफ पावटॉलॉजी -१ | गद्य साहित्य | संतोष प्र. शिंत्रे | २ | |
(सोडू नको) | कविता | संजय क्षीरसागर | २ | |
एका मावशीची आठवण. | गद्य साहित्य | सचिनजी | ३ | |
टूथपेस्ट ते दंतमंजन | गद्य साहित्य | अरुंधती कुलकर्णी | २ | |
दुरावा | कविता | श्वेतू | ३ | |
विकार कोण मागते? | कविता | भूषण कटककर | ३ | |
जुळवून घे | कविता | ॐ | ७ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
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माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |