शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
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सकाळ | कविता | ऋचा मुळे | ४ | |
काहूर | कविता | ऋचा मुळे | २ | |
घरातील पद्धती... आणि नवीन सून! | चर्चेचा प्रस्ताव | अवन्ती२१ | १५ | |
आयुष्य ! | कविता | अजित शिंदे | ४ | |
आठवतात का रे...... | कविता | आरती सुदाम कदम | ||
उर्मिला | कविता | कौतुक शिरोडकर | ३ | |
पणती | कविता | कौतुक शिरोडकर | १ | |
विरहिणी | कविता | कौतुक शिरोडकर | ५ | |
मंगळ | कविता | कौतुक शिरोडकर | १ | |
'उडिशा' दर्शन-१ | गद्य साहित्य | नरेंद्र गोळे | २ | |
प्रतिक्षा. | कविता | प्राजा | १ | |
तिकीट `कलेक्टर!' | गद्य साहित्य | आपला अभिजित | १ | |
पहारे | कविता | जयन्ता५२ | १० | |
जसे एकटे बेट...! | कविता | प्रदीप कुलकर्णी | ७ | |
मनात(च) पूजीत रायगडा! | गद्य साहित्य | आपला अभिजित | ४ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
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माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |