शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
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भयभीत प्रेमाचे सुनीत | कविता | अदिती | ९ | |
संत एकनाथ- साधकाची मनोवस्था | गद्य साहित्य | अमोलअन्कुलकर | ६ | |
तोरा-२ | कविता | केशवसुमार | ४ | |
भरली कारली | पाककृती | भाउ मनोहर | ||
(भीती) | कविता | माफीचा साक्षीदार | ३ | |
तोरा | कविता | पुलस्ति | ५ | |
भुताटकी | चर्चेचा प्रस्ताव | निनाद नाशिककर | १९ | |
भीती | कविता | अजब | ५ | |
स्वातंत्र्य | कविता | क्षणाचा सोबती | ||
एक दिवस... | कविता | झुलेलाल | १२ | |
मी नसेल तेव्हा... | कविता | मंदार कुलकर्णी | ३ | |
काय म्हणावं तुझ्या आठवणीला...... | कविता | सचिन काकडे | २ | |
सलमान खानच्या शिक्षेला पर्याय. | चर्चेचा प्रस्ताव | शेर्पा | ११ | |
बुडबुडे | कविता | समीर सागर | ||
उपवासाची रताळे भाजी | पाककृती | हेमंत पाटील | १ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
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माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |