शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
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माफीनामा २ - गणवेश | कविता | माफीचा साक्षीदार | ४ | |
कौन कम्बख्त... | गद्य साहित्य | को अहम | २० | |
कशी असावी माझी प्रिया... | कविता | मर्द मराठा | ||
चित्रपट 'पाहावा' तर असा! | गद्य साहित्य | सर्वसाक्षी | १५ | |
विडंबन - या बायडीस माझ्या | कविता | कुल | १ | |
मोक्ष-२ | कविता | केशवसुमार | ३ | |
माफीनामा १ - चढाओढ | कविता | माफीचा साक्षीदार | ४ | |
शांघाय, चीन वरुन नमस्कार | गद्य साहित्य | राज धर्माधिकारी | ३ | |
साईश.... | गद्य साहित्य | मर्द मराठा | ४ | |
(मोक्ष) | कविता | अदिती | ४ | |
आम्ही | कविता | उत्पल | ||
मी वाटसरु... | कविता | मर्द मराठा | १ | |
संध्येचे ते श्यामल पाणी | कविता | उत्पल | ६ | |
दिवस | कविता | उत्पल | ||
ती | कविता | उत्पल | १ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
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माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |