शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
---|---|---|---|---|
भाग्यश्री | गद्य साहित्य | को अहम | ६ | |
बलुतं | कविता | मुक्तछंदा | ३ | |
अजून-२ | कविता | केशवसुमार | ६ | |
पातळ पोह्यांचा चिवडा | पाककृती | रोहिणी | १२ | |
तुझ्या जिंकण्यावर लिहु की, माझ्या हरण्यावर लिहु | कविता | सचिन काकडे | १ | |
पाऊस | कविता | स्पेज१९ | १ | |
ग्रीष्म | कविता | हेमंत राजाराम | १३ | |
अजून... | कविता | visunaanaa | ११ | |
हॉट दिसण्याची स्पर्धा | गद्य साहित्य | निनाद२९ | ६ | |
अजुन बाकी आहे........ | कविता | सचिन काकडे | १ | |
आज वेळ नाही..... | कविता | सचिन काकडे | ३ | |
कथा - गीत हे गाशील तेव्हा | गद्य साहित्य | कुल | ४ | |
पाऊस तरूवरी रमणीय ओघळला | कविता | शैलेश खांडेकर | ४ | |
या झोपडीत माझ्या | कविता | रोहिणी | ४ | |
लग्न | कविता | आनंदयात्री | ९ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
---|---|---|---|
माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |