शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
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इतिहास आणि पुनरावृत्ती | कविता | चौकस | १ | |
भैरवी - एक कादम्बरी | गद्य साहित्य | चौकस | २ | |
कांदा बटाटा रस्सा भाजी | पाककृती | चौकस | ६ | |
माया | कविता | जास्वंदी | ||
स्वर्गामधले वैभव | कविता | जास्वंदी | २ | |
जाई-२ | गद्य साहित्य | माधव कुळकर्णी | २ | |
जाई-१ | गद्य साहित्य | माधव कुळकर्णी | ||
करारनामे-२ | कविता | केशवसुमार | २ | |
(गझल) | कविता | केशवसुमार | २ | |
आरक्षणा पेक्षा फ़ी माफ़ि हा पर्याय कसा आहे? | गद्य साहित्य | बंड्या | ||
व्यसनाधीनता | गद्य साहित्य | विकि | २ | |
कशासाठी | कविता | खोडसाळ | १ | |
माझे(ही) घराणे | कविता | खोडसाळ | ||
तुझ्यासाठी..... | कविता | रवि २०१८५ | १ | |
निर्लज्ज | कविता | केशवसुमार | ३ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
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माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |