शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
---|---|---|---|---|
पेच | कविता | कारकून | ६ | |
मन | गद्य साहित्य | हॅम्लेट | १० | |
कशाला! | कविता | अदिती | ११ | |
शोध -२ | कविता | केशवसुमार | २ | |
शब्द साधना-९. | चर्चेचा प्रस्ताव | द्वारकानाथ कलंत्री | ५ | |
मिशिगन | गद्य साहित्य | प्राजक्त | १ | |
काही सूचत नाही! | कविता | कट्यारे | २ | |
मन उधाण वाऱ्याचे..! | कविता | प्राजु | ३ | |
भरल्या वांग्याची भाजी - (प्राजक्ता स्टाईल) | पाककृती | प्राजु | १६ | |
मी जीवनाची साथ नित्य देत राहिलो | गद्य साहित्य | छिद्रान्वेषी | ३ | |
बदाम | कविता | कारकून | १० | |
प्रेमकहाणी-१ | गद्य साहित्य | भानस | १ | |
प्रेम -२ | कविता | केशवसुमार | ४ | |
बोलका ढलपा (पूर्वार्ध) | गद्य साहित्य | आनंदघन | २ | |
तू ...मी | कविता | पंकजलालसरे | १ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
---|---|---|---|
माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |