शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
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गर्ट्रूडला सोबत - १ | गद्य साहित्य | मिलिंद फणसे | ६ | |
पुनर्वसन....! | कविता | ऋतुगंध | ३ | |
संयम | गद्य साहित्य | अनमिक | ७ | |
ठोकळा | गद्य साहित्य | एकनाथ जाधव | ||
प्रेमदिनाची पूर्वसंध्या | गद्य साहित्य | जयश्री अंबासकर | ५ | |
रवा खीर | पाककृती | रोहिणी | ४ | |
लढाई ..(गझल)-२ | कविता | केशवसुमार | ४ | |
नाटक | कार्यक्रम | स्मरण | २ | |
विसावा-२ | कविता | केशवसुमार | १ | |
विजेता | कविता | जयश्री अंबासकर | ११ | |
वाळूची वादळं | गद्य साहित्य | जयश्री अंबासकर | १२ | |
एक होती म्हातारी | कविता | माधव कुळकर्णी | १ | |
अबोला | कविता | भानस | ||
माझ्याचसाठी | कविता | भानस | १ | |
खजूर-बदाम-काजू मिल्क शेक | पाककृती | रोहिणी | ७ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
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माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |